वो तुझे ही चाहता है
वक्त कितना बेवफ़ा है
दिल की बस इतनी खता है
वो तुझे ही चाहता है
प्यार जब ग़म की दवा है
रूह फिर क्यों ग़मजदा है
सिर्फ़ सच ही तो कहा था
हो गया वो क्यों खफ़ा है
जुल्म सहना, मुस्कराना
आपकी बेढ़ब अदा है
याद तेरी आ रही है
एक बच्चा रो रहा है
क्या कहीं फिर बम फटा है
दर्दे-दिल की`श्याम’जी अब
क्या कहीं कोई दवा है
फ़ाइलातुन.फ़ाइलातुन25/112
मेरा एक और ब्लॉग
http://katha-kavita.blogspot.com/